“खाटू की गलियां” गाने की लिरिक्स हाल ही में प्रकाशित हुई हैं, और इसमें अंजलि द्विवेदी की आवाज से सजीव हो रही हैं। गीत के संगीतकार ने इसे एक आनंददायक और मनोहर संगीत बनाया है, जिसमें भक्ति और संगीत की मिठास एक साथ हैं।
अंजलि द्विवेदी की आवाज ने इस गाने को और भी ज्यादा जीवंत बना दिया है और गीतकार ने अपने शब्दों में एक गहरा संदेश साझा किया है। “खाटू की गलियां” गाना सुनकर आप खाटू के पवित्र स्थान की ओर एक भक्तिपूर्ण सफर पर निकलेंगे और गाने की माधुर्यपूर्ण धुन में खो जाएंगे।
इस मनोहर गाने के साथ खोजें और अनुभव करें, जो आपको खाटू की गलियों में ले जाएगा और आपकी भावनाओं को सही तरीके से छूने का प्रयास करेगा।
खाटू की गलियों की
कुछ बात निराली है।
खाटू की गलियों की
कुछ बात निराली है।
एक मैं ही नहीं पागल
दुनिया मतवाली है।
एक मैं ही नहीं पागल
दुनिया मतवाली है।
खाटू की गलियों की
कुछ बात निराली है।
प्रभु बहता दरिया है,
गहरा सा पानी है।
हम तो कठपुतली तेरी,
तेरी मेहरबानी है।
प्रभु बहता दरिया है,
गहरा सा पानी है।
हम तो कठपुतली तेरी,
तेरी मेहरबानी है।
एक मैं ही नहीं पागल,
एक मैं ही नहीं पागल
दुनिया मतवाली है।
खाटू की गलियों की
कुछ बात निराली है।
ये कैसा दीवानापन,
ये कैसा जादू है।
अब बस में नहीं है दिल,
ये दिल बेकाबू है।
ये कैसा दीवानापन,
ये कैसा जादू है।
अब बस में नहीं है दिल,
ये दिल बेकाबू है।
एक मैं ही नहीं पागल,
एक मैं ही नहीं पागल
दुनिया मतवाली है।
खाटू की गलियों की
कुछ बात निराली है।
चरचे तेरे दुनिया में,
तेरी अमर कहानी है।
हारे का सहारा तू ही,
तू ही शीश का दानी है।
चरचे तेरे दुनिया में,
तेरी अमर कहानी है।
हारे का सहारा तू ही,
तू ही शीश का दानी है।
एक मैं ही नहीं पागल,
एक मैं ही नहीं पागल
दुनिया मतवाली है।
खाटू की गलियों की
कुछ बात निराली है।