Kale Kagaz Song Lyrics – Amanraj Gill

Kale Kagaz” गाने की लिरिक्स सुनहरे और दिलों को छूने वाले हैं, इसमें गायक Amanraj Gill और Shiva Choudhary ने अपनी मधुर आवाजों से संगीत को जीवंत किया है। गाने के शब्द और संगीत का सौंदर्य गायक Amanraj Gill के द्वारा रचा गया है। इसका मिक्स और मास्टर D Chandu ने किया है, जिससे गाने को एक नया धारात्मक रूप मिला है।

वीडियो का निर्देशन Ameet Choudhary ने किया है और मुख्य पात्र में Pranjal Dahiya नजर आ रही हैं। इस शानदार संगीत को Kshitij Gupta ने उत्कृष्टता के साथ प्रस्तुत किया है, जबकि Nupur Audio और Nav Haryanvi ने इसे प्रस्तुत किया है और इसका ऑनलाइन/डिजिटल प्रमोशन भी संभाला गया है। “Kale Kagaz” नामक गाने को सुनकर आप भावनाओं की गहराईयों में खो जाएंगे और इसमें समाहित हर रंग और सुर आपके दिल को छू जाएंगे।

SongKale Kagaz
SingerAmanraj Gill & Shiva Choudhary
Lyrics/MusicAmanraj Gill
Mix MasterD Chandu
Female LeadPranjal Dahiya
VideoAmeet Choudhary
ProducerKshitij Gupta
LabelNupur Audio
Presenting LabelNav Haryanvi
Online/Digital PromotionNavi Baadliwal

क्यू इतना अकड़ के चलते हो
Natural चौड़ी छाती है
तुम्हारे एक फ़ोन में
क्यू गाड़ियाँ भरके आती है

तुम्हारे एक फ़ोन में
क्यों गाड़ियाँ भरके आती हैं
रे छोटी उमर में छोरे ने
ये समन हाई कोर्ट ते आरे…

रे काले कागज़ होरे से
पर्चे 302 के सारे
रे छोटी उमर में छोरे ने
ये समन हाई कोर्ट ते आरे

हो मुझे डर लगता है रात में
हरियाणा की सड़कों से
सोनीपत-पानीपत वाली
साइड के लड़कों से

सोनीपत-पानीपत वाले
साइड के लड़कों से…

हो देख के फैन हो जावेगी
छोरे मालिक मर्जी आले
हाथ में हाथ घाल चले
यार के खाखी वर्दी आले

अम्बाला जेल ते फोन करे
गोरी अपने यारे प्यारे

रे काले कागज़ होरे से
पर्चे 302 के सारे
रे छोटी उमर में छोरे ने
ये समन हाई कोर्ट ते आरे

अमनराज गिल!

यो छोरा सारे के
सारे काम टफ करे
पीया खाया पाछे
ड्राइव बहुत रफ करे

करे इतने तो कुछ भी ना करे मेरी जान
बाकी करे तो सारा सौदा ठप करे से
मारे बातों पे बात, पक्की बातों का खसम छोरा
बालकां की तरिया ना खाता रे कसम छोरा

जाड्या के सीजन मैं
चाले रिविजन मैं
लाखा की खा ज्यावे से
स्वर्ण भस्म छोरा

करे बड्डा बड्ड छोरे
कोन्या मारते कराटे
बड़जया सै घरां छोरे
मारके ने ढाठे

फैर और बैर का ना राखते हिसाब छोरे
तड़के अर सांझ चालै खाडया मैं सपाटे

क्यू रोज़ रोज़ तुम नया नया
कोई मसला रखते हो
2 नंबर का सुना
छुपाके असला रखते हो

हो बोली ठेठ बोलते हो
बड़ा तुम लफड़ा करते हो
पीके दारू रातों को
फिर झगड़ा करते हो

पीके दारू रातों को
फिर झगड़ा करते हो…

हो न्यु तो नेचर कमाल से
बस थोड़ा बोल से तगड़ा
रे बुद्धि पहलवान आली
यो छोरा खाड्या का रगड़ा

हाथ जे पकड़े छोरी रे
सीधे खोयां पर के तारे

रे काले कागज़ होरे से
पर्चे 302 के सारे
रे छोटी उमर में छोरे ने
ये समन हाई कोर्ट ते आरे


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Vivek Kharb

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